Vipin Bansal

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कविता = किरदार

कविता = ( किरदार )


एक पर्दा है संसार !
हम सब हैं एक किरदार !!
अदाकार की अदाकारी !
देख रहा वो बैठा पार !!
ख़त्म न होती यहाँ कहानी !
बस बदलते हैं किरदार !!
एक पर्दा है संसार !
हम सब हैं एक किरदार !!

रेखा कर्म की न सीधी जाए !
गोल घुमाकर वापस लाए !! 
पाप हमारे हमें पुकारे !
सर पर रहता भार !!
लिखे पटकथा कर्म लेखनी !
सब कर्मों का ही सार !!
एक पर्दा है संसार !
हम सब हैं एक किरदार !!

बाप बना न बना तू बेटा !
पति बना न बना इंसान !!
हर भूमिका में विफल रहा !
तेरा जीवन है‌ बेकार !!
अदाकार की अदाकारी से !
खुलते हैं बैकुण्ठ के द्वार !!
एक पर्दा है संसार !
हम सब हैं एक किरदार !!

मर्यादाओं का सियाराम ने !
खूब निभाया था किरदार !!
सोलह कला निपुण थे कान्हा !
दिया श्रीमद्भगवदीता ज्ञान !!
हरि रंग में रंग ले बंदे !
ये जन्म मिले न हर बार !!
एक पर्दा है संसार !
हम सब हैं एक किरदार !!

विपिन बंसल

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3 Comments

अदिति झा

27-Apr-2023 02:44 PM

Nice ☺️

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Abhinav ji

27-Apr-2023 09:16 AM

Very nice 👍

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Muskan khan

26-Apr-2023 09:24 PM

Nice

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